Tenant Rights – आजकल शहरों में किराए के मकानों में रहना आम बात हो गई है। कई लोग काम या पढ़ाई के लिए अपने शहर से दूर जाकर किराए पर रहते हैं। ऐसे में किराएदारों को अपने अधिकारों के बारे में पता होना बेहद जरूरी है। अक्सर मकान मालिक किराया बढ़ाने या दूसरी बातों को लेकर मनमानी करते हैं, जिससे किराएदार परेशान हो जाते हैं। तो चलिए आज हम आपको बताने वाले हैं कि मकान मालिक कब किराया बढ़ा सकता है और किराएदारों के पांच महत्वपूर्ण कानूनी अधिकार क्या-क्या होते हैं।
किराया बढ़ाने के लिए मकान मालिक को देना पड़ता है नोटिस
मकान मालिक अचानक से किराया बढ़ा नहीं सकता। इसके लिए कानून ने साफ नियम बनाए हैं। मकान मालिक को किराया बढ़ाने के लिए कम से कम तीन महीने पहले लिखित नोटिस देना जरूरी होता है। इस नोटिस से किराएदार को तैयारी करने का मौका मिलता है। वह सोच सकता है कि बढ़े हुए किराए को कैसे संभालेगा या नई जगह तलाश करेगा। अगर मकान मालिक बिना नोटिस के किराया बढ़ाता है तो वह गैरकानूनी माना जाएगा।
रेंट एग्रीमेंट की अवधि के दौरान सुरक्षा
जब आप मकान मालिक के साथ रेंट एग्रीमेंट करते हैं, तो उस एग्रीमेंट में बताई गई अवधि तक मकान मालिक आपको मकान से बाहर नहीं निकाल सकता। इसका मतलब है कि जब तक आपका किराया और दूसरे नियम एग्रीमेंट में तय हैं, तब तक आप बिना किसी परेशानी के रह सकते हैं। यह आपके रहने की सुरक्षा देता है और आपको मानसिक शांति भी।
लेकिन कुछ खास हालात में मकान मालिक आपको निकाल सकता है। जैसे अगर आप लगातार दो महीने से ज्यादा किराया नहीं देते या मकान का गलत इस्तेमाल करते हैं, जैसे कि व्यावसायिक काम के लिए। फिर भी मकान मालिक को 15 दिन का नोटिस देना होता है ताकि आप अपनी गलती सुधार सकें।
मकान में बुनियादी सुविधाओं का अधिकार
किराएदार के पास यह अधिकार है कि मकान में जरूरी सुविधाएं मौजूद हों। जैसे बिजली, साफ पानी, पार्किंग आदि। मकान मालिक इन सुविधाओं को उपलब्ध कराना उसका फर्ज होता है। अगर ये सुविधाएं नहीं मिलतीं तो किराएदार मकान मालिक से मांग कर सकता है या कानूनी कदम उठा सकता है। क्योंकि बिना ये सुविधाएं हुए मकान में रहना मुश्किल हो जाता है।
सिक्योरिटी डिपॉजिट के नियम
किराएदार को मकान मालिक को सिक्योरिटी डिपॉजिट देना पड़ता है। लेकिन इसके लिए भी नियम हैं। आम तौर पर सिक्योरिटी डिपॉजिट किराए के दो महीने से ज्यादा नहीं हो सकता। अगर मकान मालिक ज्यादा मांगता है तो वह एग्रीमेंट में साफ लिखना होगा। मकान खाली करते समय अगर मकान में कोई नुकसान नहीं हुआ हो, तो मकान मालिक को एक महीने के अंदर सिक्योरिटी डिपॉजिट वापस करना चाहिए।
कई बार मकान मालिक सिक्योरिटी वापस करने में देरी करते हैं या बहाना बनाते हैं। यह गलत है और किराएदार इसके खिलाफ शिकायत कर सकता है।
मकान की मरम्मत और रखरखाव
घर की बड़ी मरम्मत, जैसे छत, दीवारें, नल इत्यादि की जिम्मेदारी मकान मालिक की होती है। किराएदार से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह अपनी जेब से ऐसी बड़ी मरम्मत कराए। अगर मकान मालिक मरम्मत कराने में नाकाम या आनाकानी करता है तो किराएदार किराया कम करने की मांग कर सकता है।
अगर इस बात को लेकर विवाद हो तो किराएदार स्थानीय रेंट अथॉरिटी या मकान किराया नियंत्रण बोर्ड से शिकायत कर सकता है। इससे किराएदार को रहने के लिए सुरक्षित और ठीक मकान मिलता है।
किराएदार की निजता का सम्मान
जब आप किसी मकान में रहते हैं तो आपकी निजता का सम्मान होना बहुत जरूरी है। मकान मालिक बिना आपकी जानकारी या अनुमति के मकान में प्रवेश नहीं कर सकता। अगर कोई मरम्मत या जांच करनी हो तो मकान मालिक को कम से कम 24 घंटे पहले लिखित में सूचना देनी होती है।
किराएदार के बिना रहने के समय मकान मालिक मकान में घुसकर सामान बाहर नहीं निकाल सकता। ये नियम किराएदार को मानसिक शांति देते हैं और उसके जीवन में सुरक्षा की भावना बनाए रखते हैं।
किराएदार को क्या करना चाहिए?
अगर मकान मालिक इन नियमों का उल्लंघन करता है तो किराएदार को अपने अधिकारों की रक्षा के लिए तुरंत कदम उठाना चाहिए। सबसे पहले तो मकान मालिक से बात करके समस्या का हल निकालने की कोशिश करें। अगर बात नहीं बनी तो आप अपने स्थानीय किराया नियंत्रण बोर्ड या रेंट अथॉरिटी से शिकायत कर सकते हैं।
इसके अलावा रेंट एग्रीमेंट को ध्यान से पढ़ना और समझना बहुत जरूरी है। इस दस्तावेज में मकान मालिक और किराएदार दोनों के अधिकार और कर्तव्य स्पष्ट होते हैं। अगर आपको समझ में कुछ न आए तो वकील से सलाह जरूर लें।
किराएदारों के पास कानून के तहत कई सुरक्षा कवच हैं जो उन्हें मकान मालिक की मनमानी से बचाते हैं। किराया बढ़ाने के लिए नोटिस देना, रेंट एग्रीमेंट की अवधि के दौरान सुरक्षा, बुनियादी सुविधाओं का अधिकार, सिक्योरिटी डिपॉजिट के नियम, मरम्मत की जिम्मेदारी और निजता का सम्मान ये सब किराएदारों के कानूनी अधिकार हैं।
इन नियमों की जानकारी होना हर किराएदार के लिए जरूरी है ताकि वे अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें और बिना परेशानी के अपने घर में रह सकें।